Sunday, September 2, 2012

Bozoical Bollywood Item !.


Bozo, Mumbai's dog-with-his-own-blog is back and looks like he is worried about something and needs reassurance.

 Maybe it's the new two wheeler which he regards as competition; maybe it's the sudden showers of rain which make him sneeze; maybe it's just the onset of age and a realization, that other canines may suddenly call him Uncle..... whatever.

 Like us, he needs a boost of confidence from time to time....

 Here , for him, is a tribute, Bollywood style....hopefully to be sung by his mentor and chronicler, Magiceye, who clicked this amazing photograph and posted it here.


                                                                         

बांद्रा की कली ......का लोकप्रिय गाना   to be sung to the tune of   "
ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा"  from the movie, कश्मिर की कली - 1964, music composed by  O. P. Nayyar  



यह ग्यानी व्यक्ति कितनी प्यारी,
जुल्फों का रंग कितना चंदेरी,
यह चोकलेट जैसी आँखें ,
इनमे कहानी छुपी है गहेरी ,
तारीफ़ करू क्या उस की , जिस ने तुम्हे बनाया ! ||

वीर ,निष्ठावान भी है , लोगों से सूना करते थे ,
तुम्हे देख के मैंने माना , वो ठीक कहा करते थे
है आवाज़ में तेरे जालिम कुछ एसे संगीत की जादू ,
सौ बार तुझे चिकन दिखाया, पर तू माँगा मोतीचूर का लाडू ,
तारीफ़ करू क्या उस की , जिस ने तुम्हे बनाया ! ||

हर सुबह बगीचे में भाग के , फु फु आवाज़ तेरे श्वासों का ,
हर शाम घर आते ही , तू करे स्वागत घर्वासियों का ,
तेरी नाचने वाली यह पूंछ , तेरी ठंडी थिरकती नथना
जो इन मौजो में डूबा , उस और अब क्या कहना ,
तारीफ़ करू क्या उस की , जिस ने तुम्हे बनाया ! ||

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